Ravi ki duniya
Ravi ki duniya
Sunday, November 9, 2025
उतरता नहीं
कभी पी थी तेरी आँखों
से मुहब्बत की शराब
नशा है कि उतरता नहीं
तूने माथे पर रख हथेली
पूछा था हाल कभी
पारा
है कि उतरता नहीं
झलक भर देखा
तुझे
गली के मोड़ पर आँख से
गुलाबी डोरा उतरता नहीं
ये कैसा मुसाफिर है?
आखिरी स्टेशन आ गया
मुसाफिर है कि उतरता नहीं
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