खोखले रिश्तों की दुहाई दे
कब तक पुकारियेगा
वो तुम्हारे बगैर ज्यादा खुशहाल हैं
ये बात जितनी जल्दी हो जान जाइएगा
जढाऊ हार में रहने के हैं वो आदतन
ज़रा सुनें आप उन्हें क्या पहनायेगा
प्यार,वफ़ा,वादों से हुस्नगर को बहलाने चले थे
हमें पता था आप खुद अपनी हँसी उड़ाइयेगा
वो दिल,आँख,साँसों में बसने के नहीं हैं आदी
बताएं आप उन्हें और कहाँ बिठाईयेगा
इस सौदे में आप किस कीमत पर बिक़े हैं
उनके गुरूर और असबाब को देख समझ जाइएगा
आप खामोश अश्क पीयें तो अच्छा
रो के ज़माने को ज़नाब अब क्या मुंह दिखाइएगा
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शीशे का दिल लिए मैं
पत्थरों के शहर में घूमता रहा
तुम जिस शहर में नहीं थे
उसमें भी ढूंढता रहा
बेखुदी की इंतिहा यहाँ तक पहुंची
महज़ तुम्हारा नाम, तुम्हारे ख्याल से ही
मैं झूमता रहा .
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वो हम पे डाल गये नज़र ऐसी
हम होश में आना भूल गये
दो लम्हे उनकी ज़ुल्फ़ तले क्या बिताए
हम अपना पता-ठिकाना भूल गये
सज़ा इससे बढ कर और वो दे भी नहीं सकते
याद मेरी दिलाने पे कहते हैं
सुना ज़रूर है नाम कहीं मगर कहाँ भूल गये .
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अभावों का रावण आज फिर
सुख की सीता हर ले गया
पिघलती ख़ुशी के पैबंद भी
ना छुपा पाए मेरी पीड़ा की देह को
बैर को अपने हाथों सींच रहा हर व्यक्ति
एक बूँद पानी नहीं नए पौधे नेह को .
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मुहब्बत पर फख्र ना कर ऐ दोस्त
एक मुकाम पे आके मुहब्बत लुट जाती है
सूरत पर यूँ ना इतरा ऐ दोस्त
एक अरसे के बाद सूरत मिट जाती है
दर्द, दर्द ना यूँ चिल्ला ऐ दोस्त
दर्द को दोहराने से दर्द की कीमत घट जाती है .
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हृदय दर्पण के
हर कण-कण पे
प्रतिबिम्ब है तुम्हारा
मेरी हर सांस पे
प्रिये ऋण है तुम्हारा
मैं कौन ? कहाँ ?
क्या अस्तित्व मेरा ?
सुना है जग को गति
देता है संकेत तुम्हारा
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