Ravi ki duniya

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Saturday, January 30, 2010

टॉइलेट फाइव स्टार

सिंगापुर में सार्वजनिक शौचालयों की स्टार रेटिंग की जा रही है. अब वहाँ सुख-सुविधा के अनुसार तीन सितारा,पाँच सितारा शौचलाय होंगे. ऐसा सुना है कि अकेले सिंगापुर में 75000 पब्लिक टॉइलेट हैं. पढ़ कर तबीयत पानी-पानी हो गयी. एक हमारा हिंदुस्तान है. सारे जहाँ से अच्छा. शौचालय कितने हैं ये तो पता नहीं मगर कैसे हैं ये भालिभांति पता है. आपको भी खबर तो है ही.सिंगापुर में टॉइलेट में पौधे, साबुन, तौलिया, टॉइलेट पेपर ,शीशा, ठंडा गरम पानी, म्यूजिक,लाइट सब उपलब्ध है. हमारे टॉइलेट में पौधे नहीं हैं अतः हम वनस्पति प्रेमी जहाँ पेड़ हो वहीं आड़ लेकर बैठ जाते हैं . चिपको आंदोलन का एक रूप यह भी है. साबुन,तौलिया,शीशा तो घर आकर ही बापरते हैं. रही म्यूजिक कि बात तो खुद ही गुनगुना लेते हैं. कई बार शौकिया,कई बार कुंडी न होने कि मजबूरी में.
हमारे टॉइलेट हवादार ओपन एयर हैं. आप यदि मूत्रालय जायें तो वहाँ ध्हेर सारी गंदगी मिल जाएगी. यहाँ तक कि आपके पैर सन जायेंगे. इस बात कि गारंटी है. ये गारंटी सिंगापुर वाले नहीं दे सकते. बेचारे !. हमारे शौचालयों में फ्लश या तो होती नहीं,होती है तो चलती नहीं,पानी न होने के कारण या फिर किसी अन्य तकनीकी खराबी के चालत. हमारे शौचालयों में आपको दो चीज़ और गारंटी से मिलेंगी. एक तो चित्रकला और उसके साथ के अनमोल वचन. दूसरे किसी दवाखाने का विज्ञापन पोस्टर जिसे पढ़ कर आपको अपनी मर्दानगी को लेकर शक होना लाज़िमी है. इतने ढेर सारे लक्षण वहाँ लिखे होंगे कि उनमें से एक न एक आप में ज़रूर होगा. सिर दर्द,चक्कर आना, भूख न लगना,भूख बार-बार लगना,पेशाब में जलन,पेशाब रुक-रुक कर आना,थकान रहना,आँखों के आगे अंधेरा, और आँखों के नीचे काले धब्बे होना.टाँग या हाथ काँपना. पत्नी के पास जाने में शर्म आना और जैसे-तैसे चले भी गए तो शर्म से पानी-पानी होकर लौट आना इत्यादि-इत्यादि. अंत में आपको हकीम जी या डॉक्टर साब से एक बार मिलने कि सलाह और लाखों नवयुवकों कि तरह आपका भी जीवन ठा...ठा करने का वादा. वे ये बटन नहीं भूलते कि डॉक्टर साब ये कोर्स आपको डाक से भेज देंगे और आपका नाम-पता गुप्त रखा जाएगा. आखिर गुप्त रोग जो है.
इंडिया में टॉइलेट में नल नहीं होते. होते हैं तो टोंटी नहीं होती.टोंटी होती है तो या तो खुलती नहीं या बंद नहीं होती. नल और टोंटी दोनों हों तो पानी नदारद. आप बैठ नहीं सकते. चैन इक पल नहीं.
वहाँ का पता नहीं. यहाँ ऐसे टॉइलेट खुल गए तो लोग शेख़ी बघारने से बाज़ नहीं आयेंगे. “कल फाइव स्टार टॉइलेट में गया था. बड़ा मज़ा आया”. “आज ऑफिस से हाफ़-डे लेकर जल्दी जाना है. फॅमिली को थ्री स्टार तिलेट में ले जाना है. बहुत दिनों से ज़िद कर रही है”. क्या समां रहेगा.
सिंगापुर में ये सब चीज़ें कहाँ होंगी. बड़ी अनकमफ़र्टएबल फीलिंग आएगी. ये सोच-सोच कर मैं सिंगापुर नहीं जा रहा हूँ.



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