Ravi ki duniya

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Tuesday, January 12, 2010

खुला पत्र उत्तम प्रदेश उर्फ़ उल्टा प्रदेश मंत्री के नाम


 
परम आदरणीय मंत्री जी


परनाम!


उल्टा प्रदेश... नहीं... नहीं उत्तम प्रदेश की आपकी सरकार ने यह फैसला लिया है कि युवा हृदय सम्राट, वाई.सी.सी. यूथ कांग्रेसी नहीं, युवती चित्त चोर आदरणीय श्री श्री अभिषेक बच्चन जी को राज्य के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘यशभारती' से सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार उनके माता पिता, दादा दादी को पहले ही दिये जा चुके हैं। कहां रखेंगे ये इतने सारे एक से पुरस्कारों को. पता ये चला है कि माननीय मुख्य्मंत्री जी ने अपनी ‘स्वविवेक शक्ति’ (डिस्क्रीशन) का इस्तेमाल करके ये फैसला लिया है। भई! उत्तम प्रदेश के उत्तम मुख्यमंत्री ने यदि उत्तम व्यक्ति का चयन किया है तो किसी को क्या ऐतराज। और कुछ नहीं, ये लोग आपसे जलते हैं। आपने तो सुना ही होगा :






" तेली का तेल जले


मशालची का दिल






ऊ दिन महोदय आप से किसी ने ये पूछने की धृष्टता कर ही डाली। साब उन्होंने कीया क्या है। ये पुरस्कार पाने के वास्ते''। आप ठहरे युगद्ष्टा। आपने भी ऐसा जवाब दिया कि बच्चू सारे पत्रकारों की सिट्‌टीपिट्‌टी गुम हो गई। बगलें झांकने लगे। अब ठीक ही तो है। आप तो इस्पष्ट बोली दिए भैया वो अमिताभ बच्चन जी के चश्मे चिराग, नूरे-नजर, लख्ते जिगर हैं। बोलो अब हैं कि नहीं''? सब एक सुर में बोले हाँ, अमिताभ ..सॉरी डॉ. बल्कि डबल डॉ. अमिताभ उत्तम प्रदेश के हैं या नहीं ? हाँ हैं. उनके पिता श्री उत्तम प्रदेश में रहे कि नहीं ? “ हां” उनकी ग्रानमा...नहीं समझे दादी श्री भैया उत्तम प्रदेश की रहीं कि नहीं? हां...हां आज सोमवार है''? हां है''। बस अब कुछ नहीं अब तो आप खुद ही बोल दिए। भई उत्तम प्रदेश का बंटी बच्चा है अपने क्षेत्र में बहुत ही सफल है उसे ‘एनकरेज' करने वास्ते एक ठौ यशभारती दे भी दिए तो क्या जलजला आ गया। श्रद्धेय! अंग्रेजी जानने वाले इसी को ना कहते रहे :


ए स्ट्रौम इन टी कप


ये ससूरे पत्रकारन का कोई दीनैईमान हईहै नई। न इनपे कोनू काम-वाम है. हमेशा उत्तम प्रदेश की तरक्की से जलते हैं. जब ही आप ये एवार्ड इन्हीं की बिरादरी के कुल्दीप नैयर को पिछले साल दिये रहे तो भी ये एसन झाम किये रहे. टेढ़े मेढे सवालन की झड़ी लगा दिये थे आपने भी साफ कह दिया पंत साब जौन हमारे पहले मुख्यमंत्री रहे और लाल बहादुर शास्त्री जौन हमारे दूसरे प्रधानमंत्री रहे दोनों उत्तम व्यक्ति उत्तम प्रदेश के थे और नैयर साब उनके सह्योगी रहे थे. बोलो हौर कुछ. बस सब टापते रह गये. इसके बाद कुछ और हईहै नहीं था कहने को उनके पास। हमारा प्रदेश, हमारा ईनाम। हम जिसे मरजी दें। तोका पूछ के देउब का? ये उत्तम प्रदेश की सरकार का यश भारती है केन्द्र का कोई ऐरा गैरा ईनाम नाहीं.. ये तो शुकर मनाओ हमारे पास भारत रत्न, परम विशिष्ट सेवा आदि पदक देने का पावर नहीं है.

मंतरी साब, हुजूर, गरीबपरवर, कृपालु ! हमारी तो आपसे एक ही अरदास है। हम भी न रहिने वाले तो उत्तम प्रदेश के ही हैं। हमारे बाप दादा परदादा, नाना नानी सभी उत्तम प्रदेश के रहे। हम बहुत ही सफल रहे हैं। बम्बई में रेलवाई के एक ठौ बड़े दफ्तर में छोटे बाबू' हैं थोड़ी बहुत कविताई भी कर लेब। तनिक ‘एनकरेजमेंट' हमें भी देउब न। हमार वादा रहि यशभारती का नाम सारथक कर देब। सारी उमर समूचा भारत में तुहार ‘यश' गाव।






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