Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Wednesday, January 6, 2010

ख्वाबो-ख्याल

आप तो मुझे मनाने आते हज़ार बार
इस दिल का क्या करूँ आप पे आ जाता है बार बार
न सताने का वादा याद था बदगुमाँ को
फिर भी हँस के बोले सता लेने दो एक आखिरी बार
सुना है वो सितमगर आज फिर रूठा है
देखूँ मनाऊं उसे फिर से एक बार
कहाँ गए वो शख्श जिन्हें पास था दिल की मजबूरियों का
उनकी दिल्लगी ठहरी,हम छोड़ आये  अपना घर-बार
उस शोख को आते हैं रूठ जाने के बहाने हज़ार
मेरी सादगी देख हर बार मनाता हूँ जैसे रूठे हों पहली बार
.....................
वो मेरा था फिर क्यूँ
अजनबी सा गुजर गया
नहीं कोई गिला उससे
बस आज से मुझे वो अपना न लिखे.
यूँ ही नहीं अहले-शहर को
 याद अब तक 
अपने कशीदे,उसके नाम
हमने कहाँ कहाँ न लिखे.
कभी उसकी रुसवाई का
सबब न बन जाएँ
बस ये सोच सोच ज़िन्दगी भर
उसे ख़त न लिखे.
सीना-सिपर था वो फिर क्यूँ
अपने ही आंसुओं में डूब के मर गया
खुदा किसी को पानी की
ऐसी मौत न लिखे .

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