Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Sunday, January 24, 2010

आपके लिए

फुरसत हुई तो सुनुंगा तेरी भी मधुर वाणी
अभी तो सुना रहा जली-कटी मुझे जग का हरेक प्राणी
समय मिला तो निहारूंगा रूपश्री तेरे यौवनधन को
लेकिन अभी तो देखना है मुझे अपने ही तन-मन को
खाली हुआ तो तेरे दिल से भी दिल को लगाना है
परंतु अभी तो मुझे पत्थर से प्यार उगाना है
विश्राम में पीऊँगा अमृत तेरे नयन का
क्षमा करना अभी तो पीना है आँसू मुझे हरेक नयन का .
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ये फ़ासला तुमसे घटाया नहीं जाता
हमार ये दुख बंटाया नहीं जाता
आखिर कब तक ये कह के टालते रहोगे
किस्मत का लिखा मिटाया नहीं जाता
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करार मत दे लेकिन मैं दर्द भी नहीं चाहता
तू दवा मत दे लेकिन मैं मर्ज भी नहीं चाहता
यूँ किसी के दिये पे किसकी बशर हुई आजतक
प्यार मत दे लेकिन मैं नफरत भी नहीं चाहता
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तुम्हें चाह के दौलत और
दुनियाँ की परवाह छोड़ दी
तुम्हें पा के चाँद-सितारों
की हसरत छोड़ दी
तुम्हारा प्यार पा कर सच पूछो
तो मैंने हर तमन्ना छोड़ दी
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पेरिस की एफिल टावर गिर पड़ी
ताज महल बालू में बदल गया
अशोक की लाट को जंग लग गया
कुतुब मीनार पृथ्वी में धँस गयी
चीन की दीवार ज़मीन में फंस गयी
मिस्र के पिरामिडो में से ममी निकाल भागे थे
जाँच की तो पता लगा
आज फिर किसी ने किसी को धोखा दिया था
किसी का दिल तोड़ा था
(नवभारत टाइम्स 4 जून 1972)
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तूफ़ा ने मुझे किश्ती चलाना
सिखा दिया
डूबने ने मुझे तैरना
सिखा दिया
(नवभारत टाइम्स 1 अक्तूबर 1972 )

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