Ravi ki duniya

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Tuesday, January 12, 2010

मथुरा का बकरा

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मथुरा श्री कृष्ण की लीलास्थली रही है। कभी उन्होंने गोवर्धन पर्वत अपनी उंगली पर उठा लिया था। वो त्रेता युग की बातें हैं। अब कलियुग है। और दूध दही का कारोबार मदर से ट्रांसफर हो कर ‘मदर डेरी' पर आ गया है। आदमी से अधिक खतरनाक और कोई नहीं। आदमी ने एक बकरे को समझाया बुझाया और बहला फुसला के बल्कि यूं कहिये बहका के बकरा बना दिया। उन्होंने उस बेचारे पर ऐसे ऐसे प्रयोग किए कि वो सब बकरागिरी भूल गया । अब उन्होंने उसे इंजैक्शन लगा लगा कर अपने वजन से दुगना वजन खींचनेवाला, माल ढोने वाला बना दिया। अब वो बकरा नहीं रह गया। गधा बन गया है। भई वाह ! आदमी की दाद देनी होगी। अच्छे भले बकरा को छकड़ा बना दिया। कहते हैं बाकायदा इस बकरे को प्रशिक्षण दिया गया है। अतः आप इसे कोई अनपढ़, गँवार बकरा न समझें। यह डिप्लोमा पास है। बकरों में खलबली मच गई है। सब बकरे मथुरा से दौड़ चले हैं। इसमें उन्हें अत्याचार की नई संभावनाएं दीख रही हैं। उन्हें लगता है हलाल और झटका होने के अलावा ये तीसरा पहलू छकड़ा उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेगा। कहते हैं पहले बंदर भी आदमी की तरह ही बोलता चालता था। मगर उनके बुजुर्गों ने पंचायत में कभी न बोलने की कसम खाई। बंदर जानते थे कि देर सबेर आदमी हमें काम पर जोत देगा। बस तब से आज तक बंदर आदमी की हर बात में सिर्फ खों....खों.....करता है। अतः आदमी आज नहीं तो कल बकरे को टैक्सी बतौर चलाएगा। आजकल लक्जरी टैक्सी, मारुति टैक्सी, टाटा सोमू (सूमो), बाइक टैक्सी, कूल कैब ना जाने क्या क्या चल गया है तो एक बकरा टैक्सी भी सही. जादूगरों की उड़ने वाले घोड़े की पुरानी कहानी सच हो रही है. जिसमें राज कुमार घोड़े का एक कान ऐंठता था घोड़ा रुक जाता था. दूसरा कान ऐंठता था तो घोड़ा उड़ पड़ता था राजकुमार को लेकर एक नई राजकुमारी की खोज में। राजकुमार लोग को भी ज्यादा कुछ करने जैसा तब था भी नहीं। सो ले दे के एक ही हॉबी थी। दूर की, पास की राजकुमारियों के महलों के फेरे लगाना। या दुष्ट, चुड़ैलों राक्षसों से उन्हें छुड़ाना। (प्रेमिका के माँबाप को आज भी यही संबोधन है।) पीछे उनके राजकाज को धूर्त मंत्री चलाते थे और रानियां आजकल के सीरियलों की हीरोईनों की तरह सजी सँवरी एक दूसरे के खिलाफ षड़यंत्र रच रच कर ‘टाइम पास' करती थी। बात बकरे की हो रही थी। बकरा अनुसंधान केन्द्र का यह दावा है कि इससे छोटे किसान मजदूरों को बहुत फायदा होगा। अब उन्हें बड़े बड़े जानवर नहीं पालने पड़ेगे। आजकल वैसे भी स्माल इज ब्यूटीफुल का ज़माना है. यक़ीन नहीं आता तो देखिये मल्लिका सेहरावत और राखी सावंत के कपड़े, मोबाइल के नये नये मॉडल, पैन में कैमरा आदि आदि। आपने टू इन वन, थ्री इन वन सुने होंगे. लेकिन एक चीनी वैज्ञानिक ने फाइव इन वन बनाया है. एफ.एम.रेडियो,कैसेट प्लेयर, सी.डी.प्लेयर, टी.वी. और पांचवा ये कि सुनने वाले की चेयर भी उसी में जोड़ दी है. ह... हा.....! तो अब ये स्माल लेकिन स्टर्डी बकरा स्माल किसान की मदद करेगा। इस बात को ले के घोड़ा परेशान है, घोड़ेवाला परेशान है। ऊँट परेशान हैं, ऊँटगाड़ी वाला परेशान है। गधा, भैंसा, बैल सब परेशान हैं। ये साला......मैं ऐं.....मैं ऐं.....करते करते इस बकरे ने तो हमे ‘बकरा' बना दिया। 



सयाने लोग कह भी गए हैं कि बकरे की माँ कब तक खैर मनायेगी। तो बकरे के बाद बकरी की बारी है। कल को खबर आ सकती है कि ऐसी बकरी डेवलप की गई है जो खाना बना लेगी, चौका बरतन से लेकर बेबी सिटिंग' तक कर लेगी। तो ये है हमारी प्रोग्रेस का इंडेक्स बी.टी. से बी.बी. तक. नहीं समझे ? बकरा टैक्सी से बकरी बाई तक.





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