Ravi ki duniya

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Tuesday, January 19, 2010

बॉस

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सुना है जापान में ऑफिस में बॉस लोगों के रबर के पुतले कैंटीन में रख दिये जाते हैं. लोग आते-जाते उनके कान ऐंठा करते हैं. नाक मरोड़ सकते हैं. अथवा चाहें तो घूँसे भी मार सकते हैं. जापान वालों का कहना है कि इस से उनके वर्कर बहुत ही टेंसन फ्री रहते हैं. बेहतर उत्पादन देते हैं और असली बॉस भी महफ़ूज रहते हैं.

यूँ तो भारत एक सामन्तवादी राजतन्त्र रहा है. फिर भी बॉस लोगों को सीधे-सीधे वर्कर के हवाले ही कर देने का रिवाज़ है. अब वर्कर की श्रद्धा है उन्हे गाली दे, घेराव करे, अथवा चाकू ही मार दे. पहले बॉस अपराध की दुनियाँ में होते थे. बॉस के नाम से जो तस्वीर ज़हन में आती, वह सिगार पी रहे, काला चश्मा, हैट लगाये ओवरकोट पहने खूंखार आदमी की होती थी जो बात बात में गोली चला देता था. उसकी गोद में बिल्ली डार्लिंग व कुर्सी के हत्थे पर लिली डार्लिंग हुआ करते थे. कालांतर में बॉस लोगों का रूपांतर हुआ और वे डॉन, किंग और विधायक बन गए. बॉस का चोला खाली था सो हिन्दुस्तानी अफसर बॉस बन गए. बिल्ली की जगह दफ़्तर में उनको मिले चूहे, कबूतर, और मधुमक्खी के छत्ते . लिली की जगह बेज़ार, थकी हारी, मजबूर ललनाएं थीं जो या तो दहेज जुटा रहीं थीं या जीवन स्तर को ऊपर उठाने की रस्साकशी कर रही थी.

बॉस आलोचना का सर्वप्रिय टॉपिक होता है. बॉस की निंदा चटपटी फ्रूटचाट की तरह होती है. फ्रूटचाट सभी को प्रिय होती है, बस मसाला कम ज्यादा होता रहता है. बॉस की छोटी-छोटी बातों को भी नोट कर उनका सूक्ष्म विश्लेषण टी टाइम, लंच टाइम, में अक्सर होता है. कैसे वह हमेशा बन-ठन के रहता है अथवा उसे कपड़े पहनने की तमीज़ ही नहीं है. कैसे वह हरदम हँसता रहता है अथवा मनहूस है मुस्कराता  भी नहीं है. कैसे वह ज़ुबान का, दिल का, कलम का, या फिर पूरा का पूरा खराब है. चरित्र चित्रण के बाद गौर करते हैं बॉस की अन्य विशेषताओं पर .

यह वह प्राणी है जो आप दफ़्तर जल्दी जाते हैं तो देर से आता है. आप देर से जाते हैं तो जल्दी आ धमकता है. बिल्कुल ही भरोसे के लायक नहीं है. टाइम बेटाइम फोन करना उसकी हॉबी है. खुद को तो बीवी-बच्चों की परवाह है नहीं आए दिन आपको भी देर रात तक दफ़्तर में बिठाता है. किसी को हँसता तो देख ही नहीं सकता. कुछ सनकी भी मालूम देता है. कभी तो खुश होकर पूरे के पूरे खानदान की सेहत के बारे में पूछता है कभी ऐसे देखता है जैसे पहली बार मिले हों.

बात-बात में इंग्लिश बोलना भी बॉस लोगों का एक गुण होता है. खासकर ब्लडी, नॉन सेंस, ओह हैल, रबिश, शिट आदि .बॉस लोग रक्तचाप, मधुमेह, और हृदय रोग से अक्सर पीड़ित देखे जाते हैं. बॉस लोग सिगरेट पान का शौक भी करते हैं पर पीछे यह कम से कमतर हो गया है. इधर ड्रिंक्स का कॉक्टेल का फ़ैशन चल निकला है. इस में सभी उम्र के और लेवल के बॉस लोगों की सक्रिय सहभागिता रहती है. एक अच्छे बॉस को हंसना तो दूर मुस्कराना भी कमसेकम चाहिये. इस से रौब पड़ता है. यदाकदा परिचित लोगों को भो पहचानने से इंकार कर देना चाहिये.

बॉस लोगों को हमेशा समय की कमी रहती है. कोई निमंत्रण दे तो सीधे समय की कमी बतानी चाहिये और बार बार घड़ी देखते हुए जितनी जल्दी हो वापस चल देना चाहिये. आप वक्त की क़दर जानते हैं. आपके पास वक्त की कमी रहती है. आपको और चार जगह जाना है. और आखिर आप बॉस हैं घूरऊ नहीं कि ठाले बैठे कोई और काम ही नहीं है. बॉस लोग शारीरिक रूप से एक जगह रहते हैं तो दिमाग से कहीं और. ठाले भी बैठना है तो बताते नहीं. LBDN, नहीं समझे. लुक बिजी, डू नथिंग.

बॉस वह जो मातहत की कमी निकाले. उसे रोकता-टोकता रहे. आधे दिन की छुट्टी चाहिये तो आधा दर्जन सवाल करे. बॉस वह जो हमेशा घुन्नाता रहे. कभी किसी बात पर कभी किसी और बात पर. बॉस कभी मूंगफली या केले नहीं खाया करते.वे काजू खाते हैं और जूस पीते हैं, बॉस हिन्दी के अख़बार या पत्रिका नहीं पढ़ते. सदैव इंग्लिश के पढ़ते हैं. बॉस यह कहने से भी नहीं चूकते कि उनकी हिन्दी, मलयालम, कन्नड़, बांग्ला (जो भी उनकी मातृभाषा हो) बहुत वीक है. चाहे ओल्ड फ़ैशन के ही क्यों न हो बॉस हमेशा सूट-बूट में रहते हैं. टाई, चश्मा तो बने ही बॉस के लिए हैं. बॉस गंजा हो तो समझो जैसे सोने में सुगंध. बॉस अव्वल तो फिल्म देखते नहीं. कभी देखते भी हैं तो केवल इंग्लिश  फिल्म. फिल्म जितनी सीरियस और बोरिंग होगी बॉस लोगों को उतनी ही भाती है. बॉस लोग एक-आध चक्कर विदेश  का जरूर लगा आते हैं. हो सके तो सरकारी खर्चे पर. इस से वार्तालाप शुरू करने, ख़त्म करने, और बीच बीच में अपनी धाक जमाने के लिए बहुत अच्छा मेटेरियल मिलता है. यथा लास्ट विंटर जब मैं स्टेट्स में था.... एक बार लंदन में मेरे साथ यही हुआ.... आइसक्रीम तो मैंने एफिल टावर पर खायी थी.

बॉस लोग साइकल या स्कूटर पर नहीं चला करते. वे कार में और कमसेकम चार्टर्ड बस से नीचे तो सफर करते ही नहीं. दूसरे शहर जाना हो तो जहाँ तक हो सके   फ़्लाइ करते हैं. वेतन चेक से लेते हैं. अपने बिलों का भुगतान क्रेडिट  कार्ड  से करते हैं. उनके फेवरिट लेखक होते हैं. पेंटर और एक्टर होते हैं. वो भी देसी नहीं खालिस विदेशी. हुज़ूर ये हैं बॉस की कुछ विशेषतायें. सूची लंबी हो सकती है मगर बॉस को ज्यादा लिखना बोलना शोभा देता है क्या ?



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