Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Monday, January 18, 2010

pankhuriyaan

बड़ी पुरपेच रही उनसे मिलके ज़िन्दगी 
कहा था रस्ता बड़ा सीधा है दोस्त ने मेरे.

इक लम्हे को गले मिल उम्र भर का गम 
हुनर ये नया सीखा दोस्त ने मेरे.

चलो चलके अपना गरेबां तैयार कर लो 
खंज़र इक नया खरीदा है दोस्त ने मेरे.

..................
मुरीद हूँ इक तुम्हारा अपनी 
आँखों में जगह दो मुझको.

तेरे रहमोकरम पर ज़िंदा हूँ 
मिटा दो या बना दो मुझको.

तेरी बेरुखी असर कर 
रही है बहुत धीरे-धीरे 
इक बार में ही सारा ज़हर 
पिला दो मुझको .
शायद मेरी खाक ही तेरे 
किसी काम आ सके 
ज़िंदा लाश समझ 
जला दो मुझको .
साहिल तुम्हें जान ज़िन्दगी का 
सफीना मोड़ा था मैंने 
बोझ अगर हूँ  मैं तो 
फिर से बहा दो मुझको.

तेरे इंतज़ार में 
ताउम्र जले हैं हम 
आखिरी चिंगारी हूँ अब 
बुझा दो या हवा दो मुझको.

लाख बुरा सही, तेरी जवानी की तरह 
वादा खिलाफ नहीं मैं 
यकीन ना हो तो 
चाहे जब बुला लो मुझको .
...............
वफ़ा की दुनिया में 
मैं भी कम मशहूर ना था 
मगर क्या कीजे, बस एक 
इश्क का शऊर ना था.

हम तुम मिल कर भी 
ना मिल सके कभी 
ख़ुदा का जिक्र दीगर 
ये इंतज़ाम शायद 
तुम्हें ही मंजूर ना था 
मुझे लपेट  दी इलज़ाम की 
काली चादर में 
किस्मत पे रोनेवालों में शुमार मेरा 
ख़ुदा कसम तेरा कोई कसूर ना था 
कल बड़े ज़श्न से निकला था सफीना मेरा 
गम ये ही  सालता है 
जहाँ किश्ती डूबी वहां से 
किनारा दूर ना था




 







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