Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Sunday, January 17, 2010

लोग

पेज . . पेज , पेज तीन
क्रिकेट, नाच-गाना,चुटकुले बेशुमार
क्या करने आये थे
क्या करने लगे लोग.
शहर का शहर खौफज़दा है
ये कैसा दौर चला
प्रेसर कुकर,टिफिन बॉक्स
से डरने लगे  लोग
किसे कौम का खैरख्वाह समझें
कौम के रहनुमा कौन है
दरबार में पीढ़ी  दर पीढ़ी 
चिलम भरने लगे लोग
बेशकीमती ज़िन्दगी सस्ती हुई
और अब बेमोल हो गयी
ये किसकी नज़र लगी
बेहिसाब मरने लगे लोग
गो ज़िन्दगी कभी,कहीं महफूज़ नहीं रही
हादसा आज यकीनन बड़ा लगता है 
ठहर कर देखने लगे लोग 
देख कर ठहरने लगे लोग 
नसीब में ये दिन भी लिखा था 
खून से सींचा था जिसे 
उसी वतन के लिए 
मेरी मुहब्बत परखने लगे लोग .

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