कोई 'भाई' जब बनता है
थोड़ा 'हफ़्ता' लगता है
थोड़ा 'मर्डर' होता है
बम-गोले पड़ते हैं
किडनेपिंग-फायरिंग होती है
खूब वसूली होती है
ऊं..ऊं ..आं..आं ...ऊं ..
एक्ट्रेस् कोई जब फेमस होती है
थोड़ी स्ट्रगल होती है
खूब बोल्ड होती है
फिर एक 'डबल'होता है
और फिल्म की कोर्ट-कचहरी होती है
ऊं.ऊं...आं...आं...ऊं...
सावन की झड़ी जब लगती है
सड़कें टूटी-फूटी रहती हैं
जनता पागल होती है
मंत्री की पौ बारा होती है
बाढ़ की चाहत होती है
उसी में राहत होती है
ऊं..ऊं...आं...आं...ऊं..
बुढ़ापे की ऋतु जब आती है
चाँद गंजी होती है
आँख मंदी होती है
सर्दी-खाँसी होती है
जोड़-जोड़ में पीर रहती है
रात-दिन मालिश होती है
ऊं..ऊं..आं..आं..ऊं...
थोड़ा 'हफ़्ता' लगता है
थोड़ा 'मर्डर' होता है
बम-गोले पड़ते हैं
किडनेपिंग-फायरिंग होती है
खूब वसूली होती है
ऊं..ऊं ..आं..आं ...ऊं ..
एक्ट्रेस् कोई जब फेमस होती है
थोड़ी स्ट्रगल होती है
खूब बोल्ड होती है
फिर एक 'डबल'होता है
और फिल्म की कोर्ट-कचहरी होती है
ऊं.ऊं...आं...आं...ऊं...
सावन की झड़ी जब लगती है
सड़कें टूटी-फूटी रहती हैं
जनता पागल होती है
मंत्री की पौ बारा होती है
बाढ़ की चाहत होती है
उसी में राहत होती है
ऊं..ऊं...आं...आं...ऊं..
बुढ़ापे की ऋतु जब आती है
चाँद गंजी होती है
आँख मंदी होती है
सर्दी-खाँसी होती है
जोड़-जोड़ में पीर रहती है
रात-दिन मालिश होती है
ऊं..ऊं..आं..आं..ऊं...
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