एक तारीख के फेर से,आदमी तारीख की नज़र हो जाता है.
आपका हर ज़िक्र यादों का एक सुहाना सफर हो जाता है.
कुछ बात है आप में, बरसों याद आओगे वरना
देखते-देखते यहाँ हर शख्श महज़ एक खबर हो जाता है.
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कभी बेख्याली तो कभी खामाख्याली ने ये हालत की है
तुम्हें चाहा है इतनी शिद्दत से,किसी और की न चाहत की है.
जब पीर, इबादत से नहीं सँवरी, बिगड़ी तक़दीर
तो बारहा हमने तेरी गली की ज़ियारत की है
मुझे यूँ देख के अनदेखा न करो
दोस्त मेरी रूह अनछुई है
भले मेरे जिस्म ने तिजारत की है.
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