Ravi ki duniya

Ravi ki duniya

Saturday, January 16, 2010

पंखुरियां

बिताए जो तुम्हारे साथ सुखद दो पल
उम्र भर की धरोहर बन गये
दिल के मरुस्थली खंडहर
फिर से जगमगाते शहर बन गये
खुदा जाने तुम ना आते तो क्या होता
तुम्हारे आने से आवारा उमंगों के घर बन गये
........
दिन अभी आवारा घूम रहा है
और पागल रात सो गयी
मन मयूर कीचड संजोता रहा
और उम्र की सीपी खो गयी
जगत अपनी अमरता पर ऐंठता  रहा
कोख सूनी हो गयी
अभी यहीं थी अब नहीं
ना जाने उमंग कहाँ खो गयी
घूमती रही शहर में पगली तृष्णा
किसी ने पास बिठाया तो चुप रो गयी
दिन अभी आवारा घूम रहा है
और पागल रात सो गयी
.............................
ना सुबह होगी, ना शाम होगी
आज  के बाद
बस तुम्हार नाम, तुम्हारी याद होगी
आज के बाद
पंछी उड़ गये, गुलों पे लाली ना रही
उजाड़ ये बस्ती फिर होगी
आज के बाद
तुम मेहरबाँ इतने थे, तुम फ़रिश्ता ना थे
कैसे में यकीन करूँगा
आज के बाद
तुम यूँ ही हँसती,मुस्कराती रहो
मायूसों की नहीं कोई ज़रुरत
एक हम हैं लो हम भी ना रहेंगे
आज के बाद
.........
जिनके इंतज़ार में रखा
फूँक फूँक कर कदम गुलशन में
वो आये तो सही
मगर तूफ़ान की तरह
ताउम्र संजोता रहा
उनकी ख़ुशी के लिए
वो चंद लम्हे को आये भी तो
मेहमान की तरह
हमने तो शौक़-ऐ-इंतजार में
उम्र तबाह की
वो मुस्कराए भी तो
एहसान की तरह
...........
तुमसे बिछुड़ने के बाद
कुछ यूँ अंधेरों का राज़ रहा
एक चिराग को तरसती रही
शब-ऐ-ज़िन्दगी
लिखे थे बड़ी तवुज्जः से
चंद हर्फ़ प्यार के
स्याही कुछ यूँ फिरी
हामी से ना पड़ी गयी 
इबारत-ऐ-ज़िन्दगी 
.....
प्यार जिनसे था हमको 
वो एक अदद गुलाब 
दे के चले गये 
कल तक थे जो रूबरू
एक हसीन ख्वाब 
दे के चले गये 
इस उम्मीद में 
वो आँखों से पिलायेंगे 
में प्यासा ही बैठा रहा 
और वो सहारा -ऐ-शराब 
दे के चले गये 
अभी वक़्त आया ना था 
में तैयार करता ही रह गया सवाल
वो एक छोटा सा जवाब
दे के चले गये
तमाम उम्र के लिए एक
हसीन ख्वाब
दे के चले गये
.......
तुम से दिल लगा के
उम्र भर के गम खरीदे हैं हमने
रातों की नींद गंवा  के
चश्म-ऐ-नम खरीदे है हमने
अब जो हो सब्र करना ही होगा
दिल सी चीज़ के बदले
पत्थर के सनम खरीदे हैं हमने
......
कभी तुमको था हमसे प्यार
तुम भूल गये यार
कभी तुम भी थे मिलने को बेकरार
तुम भूल  गये यार
हमारे बगैर कटती ना थी तुम्हारी शाम
घडी की सूइयों पे लिखा  था हमारा  नाम
वक़्त कितना अहम् था उन दिनों
तुम भूल गये यार
दुनिया के डर से कभी
हमारे पहलू में सिमटे थे तुम
मुहब्बत की चाह में
हर सू लूटे थे तुम
तब हमने ही दिया था तुम्हें प्यार
तुम भूल गये यार
रफ़्तार-ऐ-हयात, गर्दिश-ऐ-जहाँ से
 करते रहे मुझे  खबरदार
और अब खुद ही हाथ छुडा कर
छोटे से शहर में खो गये यार
कभी तुमको था हमसे प्यार
तुम भूल गये यार
......
ज़िन्दगी की राह में यूँ तो
आये बहुत से पड़ाव
एक लम्हा बीता था तुम्हारे साथ
तसव्वर ज़हन से जाता नहीं.
यहाँ हम हैं उम्र गुजारने को तैयार
एक सिर्फ तुम्हारे ख्याल में
ज़माने को खबर है
एक तुम्ही को ख्याल आता नहीं.
वो मेरी छेड़ पर तुम्हारा शर्म से
और नज़दीक आना
चांदनी का मेरे पहलू में बिखर जाना
यादों का लम्बा सिलसिला ज़हन में समाता नहीं.
तुम दिखे और आँखों में समाते चले गये
दर्द-ऐ-दिल मुस्तकिल था
निभा रहा हूँ
वरना यूँ ही कोई आंसू बहाता  नहीं . 
उनका वादा है अगले जनम
वो मेरे हो जायेंगे
में खुशकिस्मत हूँ कोई इतनी आसानी से
सनम को पाता नहीं.

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