सन् 2020 तक भारत भी एक भारतीय को चन्द्रमा पर भेजने में सक्षम हो जाएगा। सुनकर सारे बदन में फुरफुरी सी दौड़ गई। हाय राम! कही मुझसे ही न कह दें। क्यों भई यहाँ पड़े पड़े क्या चारपाई तोड़ रहे हो... चलो दिलदार चलो चाँद के पार चलो''। पर मैं तो कवि मार्का भारतीय हूँ जो हर दूसरी गज़ल, हर दूसरी कविता में चाँद से दो चार हो जाता है। आज से नहीं। आप सन् 2020 की बात कर रहे हो। मैं पिछले 20 साल से इसी धंधे में हूँ। चाँद की ऐसी तैसी। मैं ही क्या। उर्दू, हिन्दी के सभी शायर कवियों ने चाँद को अपना समझ कर, अपनी प्रेमिका समझ कर आहें भरी हैं और कविता करी है। गज़लें लिखी हैं। दर असल भारत को चाहिए कि चाँद को अपनी प्रापर्टी'' घोषित कर दे। सदियों से भारतीय आशिक, कवि चाँद को अपना समझ कर,अपनी प्रेमिका समझ कर इतना सब लिख चुके हैं, कह चुके हैं कि चांद पर अपुन का पूरा पूरा इंटेलेक्चुअल राइट पहुंचता है.
प्रश्न यह है कि भारत सरकार किसे चाँद पर भेजेगी। वह मुम्बई से होगा या चैन्नई से। रामगढ़ से होगा या मालेगाँव से। वह उल्टा प्रदेश...न...न...उत्तम प्रदेश से होगा या बिहार से। कहीं प्रधानमंत्री पर लैफ्ट का दबाव पड़े तो ऐसा न हो कि लाल झंडा लेकर कोलकाता से कोई लाल सलाम कर रॉकेट में जा घुसे।
अभी एक भ्रम सा बना हुआ है। पुरुष होगा या तीस प्रतिशत आरक्षण के चलते कोई भारतीय सुन्दरी होगी। यही शिष्टाचार है। अगर दस्यु सुन्दरी हो सकती है। हवाई सुन्दरी (एयर होस्टेस) हो सकती है तो चन्द्र सुन्दरी क्यों नहीं, कहीं ऐसा न हो ताली पीट पीट कर कोई किन्नर बाजी मार ले जाए। और ये सारे के सारे तथाकथित मर्द किनारे लग जाएं।
दूसरा सवाल यह है कि वह किस वर्ग से होगा। गरीब, मध्यम या धनाढय वर्ग से होगा। वह आर्यभट्ट की भांति संस्कृत का विद्वान होगा अथवा राजभाषा हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त होगा। या फिर हिंगलिश या रुसी बोलेगा। पिछला कार्यक्रम रुस के सहयोग से था। अतः श्रीयुत राकेश शर्मा और मल्होत्रा जी दोनों को पहले रूसी भाषा सीखनी पड़ी थी। इससे याद आया वह जल सेना या थल सेना का होगा या फिर वही हवा...हवा अर्थात वायुसेना का होगा। बाई द वे मैंने भी एन.सी.सी. पास की हुई है। माननीय श्री राकेश शर्मा जी यद्यपि रिटायर हो गए हैं उन्हें दुबारा चांद पर जाने में एतराज नहीं है। उल्टे उन्होंने कहा है, उन्हें खुशी होगी। बतौर उदाहरण उन्होंने किसी अमरीकी अंतरिक्ष यात्री का जिक्र भी किया है जो उनसे ज्यादा उम्रदराज होने के बाद भी अंतरिक्ष में गया था।
वह बुद्घिजीवी वर्ग का होगा। श्रमजीवी वर्ग का होगा या फिर परजीवी वर्ग का। वह पेन्टर होगा या संगीतज्ञ या कहीं कोई फिल्म निर्माता तो नहीं होगा। वैसे फिल्म निर्माता होगा तो ख़ूब मजे हैं। चाँद को लेकर फिल्मों की वैसे ही बाढ़ आ जाएगी जैसे आजकल रीमेक' की। नये नये लोकशन की तलाश में निर्माता चॉंद का कोना कोना या कहिए क्रेटर क्रेटर छान मारेंगे। बड़ी ही हसीन सिचुएशनें बनेंगी। भारतीय हीरो शाहरुख या रितिक रोशन टाइप। उधर चाँद के राजा की यथा नाम तथा गुण संपन्न इकलौती राजकुमारी..क...क...किरन ऐशवर्या या रानी मुखर्जी टाइप ...उफ क्या डॉयलाग…क्या विलैन जो कि शनि ग्रह से होगा। क्या फाइट होगी। चाँद पर गुरुत्वाकर्षण नहीं है। अतः एक मुक्के में विलैन मीलों दूर जा गिरेगा।
भारत सरकार को भी यह कहने को हो जाएगा कि बस 2020 में हम चाँद पर पहुँचे नहीं कि सब बेरोजगारी, बाल मजदूरी, बंधुआ मजदूरी, दुकानों की सीलिंग, किसान आत्महत्या सब का सफल इलाज हो जाएगा। भारत विश्व की महाशक्ति बन जाएगा। आप विकासशील नहीं पूर्ण विकसित हो जाएंगे। विकास ही विकास, एक बार मिल तो लें (वोटिंग बूथ पर)।
प्रश्न यह है कि भारत सरकार किसे चाँद पर भेजेगी। वह मुम्बई से होगा या चैन्नई से। रामगढ़ से होगा या मालेगाँव से। वह उल्टा प्रदेश...न...न...उत्तम प्रदेश से होगा या बिहार से। कहीं प्रधानमंत्री पर लैफ्ट का दबाव पड़े तो ऐसा न हो कि लाल झंडा लेकर कोलकाता से कोई लाल सलाम कर रॉकेट में जा घुसे।
अभी एक भ्रम सा बना हुआ है। पुरुष होगा या तीस प्रतिशत आरक्षण के चलते कोई भारतीय सुन्दरी होगी। यही शिष्टाचार है। अगर दस्यु सुन्दरी हो सकती है। हवाई सुन्दरी (एयर होस्टेस) हो सकती है तो चन्द्र सुन्दरी क्यों नहीं, कहीं ऐसा न हो ताली पीट पीट कर कोई किन्नर बाजी मार ले जाए। और ये सारे के सारे तथाकथित मर्द किनारे लग जाएं।
दूसरा सवाल यह है कि वह किस वर्ग से होगा। गरीब, मध्यम या धनाढय वर्ग से होगा। वह आर्यभट्ट की भांति संस्कृत का विद्वान होगा अथवा राजभाषा हिन्दी में प्रवीणता प्राप्त होगा। या फिर हिंगलिश या रुसी बोलेगा। पिछला कार्यक्रम रुस के सहयोग से था। अतः श्रीयुत राकेश शर्मा और मल्होत्रा जी दोनों को पहले रूसी भाषा सीखनी पड़ी थी। इससे याद आया वह जल सेना या थल सेना का होगा या फिर वही हवा...हवा अर्थात वायुसेना का होगा। बाई द वे मैंने भी एन.सी.सी. पास की हुई है। माननीय श्री राकेश शर्मा जी यद्यपि रिटायर हो गए हैं उन्हें दुबारा चांद पर जाने में एतराज नहीं है। उल्टे उन्होंने कहा है, उन्हें खुशी होगी। बतौर उदाहरण उन्होंने किसी अमरीकी अंतरिक्ष यात्री का जिक्र भी किया है जो उनसे ज्यादा उम्रदराज होने के बाद भी अंतरिक्ष में गया था।
वह बुद्घिजीवी वर्ग का होगा। श्रमजीवी वर्ग का होगा या फिर परजीवी वर्ग का। वह पेन्टर होगा या संगीतज्ञ या कहीं कोई फिल्म निर्माता तो नहीं होगा। वैसे फिल्म निर्माता होगा तो ख़ूब मजे हैं। चाँद को लेकर फिल्मों की वैसे ही बाढ़ आ जाएगी जैसे आजकल रीमेक' की। नये नये लोकशन की तलाश में निर्माता चॉंद का कोना कोना या कहिए क्रेटर क्रेटर छान मारेंगे। बड़ी ही हसीन सिचुएशनें बनेंगी। भारतीय हीरो शाहरुख या रितिक रोशन टाइप। उधर चाँद के राजा की यथा नाम तथा गुण संपन्न इकलौती राजकुमारी..क...क...किरन ऐशवर्या या रानी मुखर्जी टाइप ...उफ क्या डॉयलाग…क्या विलैन जो कि शनि ग्रह से होगा। क्या फाइट होगी। चाँद पर गुरुत्वाकर्षण नहीं है। अतः एक मुक्के में विलैन मीलों दूर जा गिरेगा।
भारत सरकार को भी यह कहने को हो जाएगा कि बस 2020 में हम चाँद पर पहुँचे नहीं कि सब बेरोजगारी, बाल मजदूरी, बंधुआ मजदूरी, दुकानों की सीलिंग, किसान आत्महत्या सब का सफल इलाज हो जाएगा। भारत विश्व की महाशक्ति बन जाएगा। आप विकासशील नहीं पूर्ण विकसित हो जाएंगे। विकास ही विकास, एक बार मिल तो लें (वोटिंग बूथ पर)।
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