मुझे क्या खबर सितमगर
कौन सी जुबान बोले है
जब भी करीब होय है
न मैं बोलूं हूँ ,न वो लब खोले है
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तुम्हारी कही निभा रहा हूँ
देखो कितना खुश नज़र आ रहा हूँ.
माथे की शिक़न से लोग पहचान लेते हैं
रोज़ एक नया नकाब लगा रहा हूँ .
लाख चाह कर भी मैं तुम्हारे जैसा न बन सका
आज भी इबादत की तरह दिल लगा रहा हूँ .
वक़्त के पाबन्द वो कल थे न आज
वो आयेंगे ज़रूर येही सोच मैं उम्र बिता रहा हूँ.
आना उनका मेरे ज़नाजे पे सौ नाज के साथ
नसीब देखिये वो आये हैं और मैं जा रहा हूँ .
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